Lucknow: पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में CM योगी ने ‘वीर सावरकर’ को लेकर कही ये बड़ी बातें

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Lucknow: आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लखनऊ में ‘वीर सावरकर’ पुस्तक का विमोचन किया। यह पुस्तक उदय महुरकर और चिरायु पंडित ने लिखी है. इस दौरान सीएम योगी ने कहा वीर सावरकर को लेकर कई बातें कहीं।

सीएम योगी ने अपने सम्बोधन की शुरुआत वीर सावरकर को नमन करते हुए की। उन्होंने कहा कि वीर सावरकर जी की प्रतिभा को छिपाने की कोशिश पहले ब्रिटिशर्स ने फिर आज़ादी के तत्काल बाद जिनके हाथ सत्ता आई उंन्होने हर सम्भव प्रयास किया।

श्रद्धेय अटल जी की सरकार ने पोर्टब्लेयर की सेल्युलर जेल में उनकी प्रतिमा लगवाया, जिसे बाद में कांग्रेस की सरकार ने हटवा दिया। सावरकर बीसवी सदी के महानायक थे,उनसे बड़ा क्रांतिकारी, लेखक, कवि,दार्शनिक कोई नही हुआ।

वो सामान्य व्यक्ति नही थे, एक ही जन्म में दो-दो आजीवन कारावास की सजा काटी। सेल्युलर जेल में वो और उनके भाई बंद थे, वर्षों तक उन्हें पता ही नही चला। जेल की काल कोठरी में उनके पास लेखनी कागज़ न होते हुए उन्होंने जेल की दीवारों पर नाखूनों से लिखने गढ़ने का कार्य किया।

ब्रिटिशर्स उनसे सबसे ज्यादा भयभीत थे,उनकी कोठरी फांसी घर के सामने थी, आज़ादी के बाद उन्हें जो सम्मान मिलना था,नही मिला। 1960 तक उनको उनकी पैतृक संपत्ति नही मिल पाई,यद्यपि आज़ादी 1947 में मिल चुकी थी।

उंन्होने बिना किसी विवाद के परिभाषा गढ़ी, उन्होंने सनातन हिन्दू धर्मावलंबियों को उनकी पहचान की परिभाषा दी। तत्कालीन सत्ता लोलुप दलों ने सावरकर की तुलना जिन्ना से की। उंन्होने कहा था जिन्ना की सोच संकुचित है, संकीर्ण है राष्ट्रतोडक है,जिन्ना भारत के विभाजन का कारक है।

उनका व्यक्तित्व भारत के स्वर्णिम भविष्य की सोच रखता था,वो अपने मिशन के लिए लगातार सक्रियरहे। भारत की स्वाधीनता के स्वरूप क्या हो उसमे वो लगातार सक्रिय रहे,आज वो स्वरूप सामने है।

सावरकर की शब्द दृष्टि आज साकार होती दिखाई दे रही है। सावरकर जी की बात को कांग्रेस ने माना होता तो ये देश विभाजन की त्रासदी से बच गया होता। हम आज़ादी के अमृत महोत्सव वर्ष में उनकी जन्मदिन मना रहे हैं, उस वक़्त के निर्णयकर्ता उनकी बातों से सीख लेते तो भारत विभाजन की त्रासदी से बच गया होता।

उंन्होने कहा था पाकिस्तान कोई वास्तविकता नही हो सकती,लेकिन हिंदुस्तान हमेशा रहेगा,यह नेशन फर्स्ट की थ्योरी ही आज की वास्तविकता है…आज़ादी का अमृत महोत्सव सिर्फ आज का नही है,ये आने वाले 25 वर्षों का विजन है।

नेशन फर्स्ट की थ्योरी हमने अपनायी होती तो भारत का विभाजन,1962,65,1971 के विभाजन में भारत के बहादुर सैनिकों की शहादत न होती, आज आतंकवाद,अलगाववाद न पनपते ,हम हमेशा समझौते की टेबल पर हार जाते थे।

वीर सावरकर का उत्तरप्रदेश में पहला आगमन गोरखपुर में 1946 में हुआ था…सावरकर जी ने मूल्यों से कभी समझौता किया। सावरकर जी ने 1857 के स्वतंत्रता संग्राम की स्मृतियों को गढ़ा, अंग्रेज उनसे परेशान हो जाते थे, उनपर प्रतिबंध लगाए गए,उनकी कृतियों को जब्त किया गया,लेकिन वो बुद्धिबल से उन्हें फिर गढ़ लेते थे

उनकी दिव्यदृष्टि कृतियाँ वक्तव्य पूरे भारत को नया मार्ग दे रहे हैं। लोग कहते थे कश्मीर से 370 समाप्त नहीं हो सकता, आज हो गया जो आपके सामने है। उनका कालखंड पूरे देश को एक विजन,दृष्टि देकर सिखाता है।

अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उसी दृष्टि का परिणाम है,वो कहते थे मेरे लिए कोई अल्पसंख्यक बहुसंख्यक नही सबको समान अवसर अन्य व्यवस्था मिलनी चाहिए। उत्तरप्रदेश में रामनवमी पर कहीं कोई दंगे नही हुए, सड़क और नमाज़ नही हुए,सड़क कोई धार्मिक कार्यक्रम के लिए नही होते, अलविदा की नमाज़ नही होती, धर्मस्थलों पर लगे माइको से आज उत्तरप्रदेश की जनता काफी सुकून महसूस कर रही होगी।

सकारात्मक प्रयास से ही चीजें होंगी,वीर सावरकर की दृष्टि आज भी प्रासंगिक है,भारत को फिर से किसी विभाजन की त्रासदी से सावरकर की दृष्टि ही बचा सकती है…

इस पूरे कार्यक्रम के लिए प्रभात प्रकाशन को धन्यवाद देता हूँ। ये अमृतकाल है,याद रखिये जैसा हमारा भारत होगा वैसा ही हमारा भविष्य भी होगा,हमे मिलकर अपने अपने फील्ड में मिलकर काम करना होगा। यह सावरकर जी की कृति हर पुस्तकालय विश्वविद्यालय में जानी चाहिए,थीसिस होनी चाहिए, शोध होने चाहिए।

सावरकर जी के बारे जरा सा अगर उन लोगो को पता होता तो उन लोगो के बेशर्मी के बोल न निकलते,उंन्होने बेशर्मी की चादर ओढ़ ली,उन्हें सावरकर जी की वीरता का ज्ञान ही नही था।

लोहिया जी ने कहा था कोई व्यक्ति 50 वर्ष बाद अगर श्रद्धा के साथ स्मरण किया जाता है तो वो सामान्य व्यक्ति नही हो सकता, अब हम उनके जाने के 56 वर्ष बाद याद कर रहे हैं,तो हम उनके व्यक्तित्व के बारे में आंकलन कर सकते हैं।

चौरी चौरा की घटना के लिए वो साक्षी रहे,कांग्रेस की विभाजन की सोच के कारण इन्होंने कांग्रेस की सोच से किनारा कर लिया। हिन्दू महासभा के बाद में हमारे दादा गुरु महंत दिग्विजय नाथ भी जुड़े।

सावरकर समग्र कृति को समस्त विश्वविद्यालय, महाविद्यालय, पुस्तकालय में जाना चाहिए,जिससे युवाओं को उनके जानने,समझने,शोध करने का अवसर मिलना चाहिए।

इसके साथ ही सीएम योगी ने अपने सम्बोधन में ये भी कहा कि सावरकर से बड़ा क्रांतिकारी इस सदी में नही हुआ, इसे जानना चाहिए। आज़ादी के बाद जो सम्मान मिलना चाहिए था वो उनको नहीं मिला।

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