क्या आपको पता है चुनाव लड़ने से पहले ही एमएलए (MLA) बन गए थे मुलायम।

mulayam singh
राजनीति के सिकंदर और भारतीय राजनीति के सबसे बड़े चेहरों में से एक मुलायम सिंह यादव। (Mulayam singh yadav) एक ऐसे राजनेता जिनका सम्मान उनकी पार्टी समाजवादी के साथ-साथ सभी राजनीतिक दल और राजनेता करते है। चाहे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi)  हो. या प्रदेश के मौजूदा वक्त के सीएम योगी आदित्यनाथ (Cm Yogi) । मुलायम सिंह एक ऐसे राजनेता है। जो सभी के चहेते है। चाहें उनके समर्थक हो या फिर उनके विरोधी।
इसलिए जब मुलायम सिंह यादव प्रदेश मुख्यमंत्री हुआ करते थे. और सदन में जब वह बोलना शुरू करते थे..तो सदन के सभी सदस्य चाहें सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी उनकी बात और भाषण को बहुत की ध्यान के साथ सुनते थे। और सदन में सन्नाटा छा जाता था। इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे है। आखिर कैसे मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ने पहले ही कैसे एमएलए बन गए थे। लेकिन उससे पहले आप जान लीजिए मुलायम सिंह यादव से जुड़े कुछ औऱ पेहलू।

राजनीतिक सफर की शुरुआत- 

मुलायम सिंह यादव का जन्म इटावा के सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को हुआ था। शुरु के दिनों में उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई थी। इसके बाद वो अपनी पढ़ाई को आगे जारी करने के लिए इटावा शहर में के के कॉलेज में एडमिशन लेकर आगे की पढ़ाई को पूरा किया।  मुलायम सिंह यादव अपने बचपन में परिवार के अन्य सदस्यों से अलग थे। राजनीति की तरफ उनकी बचपन के दिनों से ही रुचि थी। और कॉलेज में पढ़ाई दौरान मुलायम का रुझान राजनीति की तरफ बढ़ने लगा। औऱ मुलायम छात्र राजनीति में उतर गए। इसके बाद मुलायम सिंह यादव में छात्रसंघ का चुनाव लड़ा और शानदार जीत के साथ अध्यक्ष पद का चुनाव जीता। इसी दौरान मुलायम , डॉ राम मनोहर लोहिया, नत्थू सिंह और कमांडर अर्जुन सिंह जैसे दिग्गज राजनेताओं के करीबी बन गए थे।

चुनाव लड़ने से पहले कैसे बने एमएलए-

मुलायम सिंह यादव ने कई बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और विधायक (MLA) बनें। जसवंतनगर विधानसभा सीट से मुलायम सिंह यादव ने पहली बार चुनाव लड़ा था। इसके बाद कई बार मुलायम सिंह यादव इस सीट से जीतकर MLA  (विधायक) बनें। जिसके बाद जसवंतनगर विधानसभा सीट यादव परिवार का गढ़ माना जाने लगा और ये सीट यादव परिवार की मानें जानें लगी।

चुनाव लड़ने से पहले एमएलए बने मुलायम- 

दरअसल मुलायम सिंह यादव ने कई बार एमएलए का चुनाव लड़ा और विधायक (एमएलए) बने। लेकिन मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ने से पहले ही MLA बन गए थे। क्योकि जब मुलायम सिंह यादव छात्र राजनीति किया करते थे. तब उस वक्त ही उनके समर्थक और चाहनें वाले उन्हें प्यार से एमएलए बुलाया करते थे। और मुलायम सिंह यादव का नाम छात्र नीति के दौरान एमएलए पड़ गया था औऱ वो विधानसभा का चुनाव लड़े बिना ही एमएलए कहलाये जाने लगे।

लगातार जारी रहा राजनीतिक कारवा

मुलायम सिंह यादव आज देश के सबसे वरिष्ठ राजनेता है। छात्र राजनीति से लेकर प्रदेश औऱ देश की राजनीति तक मुलायम सिंह यादव में अपना औऱ अपने दल का लोहा मनवाया। और छात्र राजनीति से शुरु हुआ सिलसिला फिर कभी नही रुका। 1967 में पहली बार विधायक बनने के बाद मुलायम में कभी पीछे मुड़कर नही देखा। मुलायम सिंह यादव तीन बार यूपी के सीएम बनें। और केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री जैसे अहम पद पर भी काबिज हुए।
मुलायम सिंह यादव देश के दुसरे ऐसे राजनेता है जिन्हे नेता नाम से देश में संबोधित किया जाता है। इससे पहले नेता नाम की उपाधि सुभाष चंद्र बोस को ही मिली थी। सुभाष चंद्र बोस के बाद मुलायम सिंह यादव को ही नेता मुलायम सिंह यादव के नाम से जाना जाता है।

विपक्षी भी करते है नेता जी का सम्मान- 

मुलायम सिंह यादव भले राजनीतिक दल समाजवादी पार्टी से जुड़े है। लेकिन इसके बाद भी देश के प्रधानमंत्री मोदी हो. या यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ सभी उनका सम्मान करते है। यही वजह है कि 2017 में सपा के चुनाव हारने के बाद भी जब सीएम पद की शपथ का कार्यक्रम और उस कार्यक्रम नेता मुलायम सिंह यादव पहुंचे तो पीएम मोदी ने गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया और बात करते हुए नजर आएं। इस तरह मुख्यमंत्री बनने के बाद भी योगी आदित्यनाथ, नेता मुलायम के घर कई बार जातें रहे। और उनके स्वास्थ्य को लेकर फोन भी करते है।
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