
दुनिया में एक सेक्स वर्कर को लोग एक अलग निगाहों से ही देखते हैं, उन्हें ना तो कोई सम्मान मिल पाता है और ना ही उनकी कोई मदद के लिए आगे आता है। दरअसल इनकी जिंदगी ऐसी होती है जिसमें एंट्री प्वाइंट होता है लेकिन एग्जिट प्वाइंट का कोई अता-पता नहीं होता। हालांकि भारत समेत पूरी दुनिया में सेक्स वर्कर्स के ऊपर कई फिल्में भी बनी लेकिन उसका असर सिर्फ फिल्मों में ही देखने को मिलता है लेकिन जमीनी हकीकत तो कुछ और ही होती है।
बात करें करोनाकॉल की तो पूरी दुनिया को श्मशान बना देने वाली इस महामारी में अच्छे से अच्छे वर्ग के लोगों को मुश्किलों में डाल दिया था, तो सोचने वाली यह बात है की इन सेक्स वर्करों की जिंदगी पर क्या असर पड़ा होगा? इनकी मदद के लिए कौन आगे आया होगा। क्योंकि हमारा समाज आजतक इन्हें सिर्फ एक ही दृष्टि से देखता आया है जबकि ये भी एक आम इंसान ही हैं।
सेक्स वर्कर्स को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट का एक ऐतिहासिक फैसला आया है इस फैसले के मुताबिक कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस को या निर्देश दिए हैं कि उन्हें सेक्स वर्कर्स कार्यशैली में कोई हस्तक्षेप ना करें और तो और पुलिस को बालिग और सहमति से सेक्स वर्क करने वाली महिलाओं पर आपराधिक कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।
सेक्स वर्कर्स पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
कोरोनाकाल के दौरान सेक्स वर्कर्स पर आई परेशानियों को लेकर दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था जिसमें कोर्ट ने यह कहा कि सेक्स वर्कर भी कानून के तहत आम जनमानस की भांति गरिमा और सामान सुरक्षा के हकदार हैं। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव बीआर गवाई और जस्टिस एएस बोपन्ना की बेंच ने सेक्स वर्कर्स के प्रति उनके अधिकारों को सुरक्षित रखने हेतु 6 दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं।
गैरकानूनी नहीं वेश्यावृत्ती करना– सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा है की संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सिर्फ सेक्स वर्कर को ही नही बल्कि देश के हर एक नागरिक को सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है। यदि किसी भी सूचना पर वेश्यावृत्ती की खबर मिलती है और पुलिस को किसी वजह से उनके घर पर छापेमारी करनी भी पड़ती है तो सेक्स वर्कर्स को गिरफ्तार या परेशान न करे। अपनी मर्जी से Prostitute बनना अवैध नहीं है, सिर्फ वेश्यालय चलाना गैरकानूनी है।
सेक्स वर्कर्स के प्रति क्रूर और हिंसक रवैया न अपनाये पुलिस
- यदि किसी सेक्स वर्कर के साथ कोई वारदात हो जाती है तो ऐसे में पुलिस उसे तुरंत मदद मुहैया कराए।
- किसी सेक्स वर्कर के साथ यौन उत्पीड़न जैसा अपराध होता है तो उसे भी कानून के तहत तुरंत मेडिकल सहायता व सारी सुविधाएं मिले जो एक यौन पीड़ित महिला को मिलती है।
- अधिकांश मामलों में ऐसा पाया गया है कि सेक्स वर्कर के साथ पुलिस अच्छा व्यवहार नहीं करती बल्कि उनके प्रति क्रूर और हिंसक रवैया अपनाती है।
- ऐसे में पुलिस और एजेंसियों को सेक्स वर्कर के अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए और उनके प्रति संवेदनशील भी होना चाहिए।
मीडिया के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की अपील
कोर्ट ने मीडिया के लिए भी गाइडलाइन बनाने के लिए कहा है की गिरफ्तारी होने पर या छापेमारी व किसी अन्य मामले के दौरान सेक्स वर्कर की पहचान उजागर ना की जाए, इसके लिए कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया से सेक्स वर्कर्स से जुड़े मामले की कवरेज के लिए विशेष गाइडलाइन तैयार करने की अपील की है। आपको बता दें यह आदेश कोर्ट ने सेक्स वर्कर्स के पुनर्वास को लेकर बनाए गए पैनल की सिफारिश पर जारी किए हैं।
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